कैसा पास और कितना दूर,
सब सच में बहाना है,
थोड़ा-थोड़ा सबको निभाना है।
क्या सब पाया क्या सब खोया,
क्यों याद करूं,
मुझसे जिसको जो ठौर मिले,
वो बात करूं,
समय से लड़ने की निष्फल
कोशिश करते जाना है,
थोड़ा-थोड़ा सबको निभाना है।
क्या बोलूं क्या मौन समेटूँ ,
कुछ खबर नहीं,
अथक सफर को कैसे बाँटू,
कुछ सबर नहीं ,
उम्र से लम्बी इन सड़कों पर ,
फिर भी कारवॉ चलाना है।
थोड़ा-थोड़ा सबको निभाना है।
कैसा पास और कितना दूर
सब सच में बहाना है ,
थोड़ा-थोड़ा सबको निभाना है।
बहुत सुंदर |
Beautiful 😍
Sincere thanks
So beautiful 👌
My sincere thanks, Sir.