नमन आपको हे प्रभु
उम्र की सीढ़ी से आपको छुआ
कहां अछूता मैं आपकी रीत से
जो सबके साथ मुझसे भी वही हुआ |
रीत वही है प्रीत वही है अब जाना है
नीत वही है गीत वही है अब जाना है
रंग वही है ढंग वही है अब जाना है
संग यही है संग नहीं है अब जाना है
जीवन – मृत्यु के कर्तव्य पर ना बहाना हुआ
उम्र की सीढ़ी से आपको छुआ |
मासूम बचपन अल्हड़ जवानी वैसे ही
सुख-दुख ऊंच-नीच आनी जानी वैसे ही
ढलती मेधा, फिसलता मोह वैसे ही
श्रृंखलाएं यादों की, सपनों में योग वैसे ही
परंपरा को यूं मुझसे निभाना हुआ
उम्र की सीढ़ी से आपको छुआ |
नमन आपको हे प्रभु
उम्र की सीढ़ी से आपको छुआ
कहां अछूता मैं आपकी रीत से
जो सबके साथ मुझसे भी वही हुआ |
Nice
Lovely
Beautiful poetry! Well shared! 👌👌
Many Thanks
Welcome .Do visit my blog .😁
Evocative and beautiful. Thanks for sharing