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तुमको कुछ शिकायत और
कुछ भ्रम मुझको रहने दो,
तुम कुछ चुप चुप से रहो और
मुझको यों चुप रहने दो ।
समय के साथ बस कभी
यादें न कुछ बहने पायें,
सब जाये पर आँखों में कुछ
बाँतें फिर भी रहने पायें,
कुछ तुम रख लो धीमे से और
कुछ मुझको भी रख लेने दो।
तुमको कुछ शिकायत और
कुछ भ्रम मुझको रहने दो ।
कोई रंग कभी चढे तो चढे
ये रंग न कभी उतरने पाये,
हर ढंग में यों बढें तो बढें
ये ढंग न कभी बिखरने पाये,
कुछ तुम परखो जीवन को और
कुछ मुझे भी परख लेने दो।
तुम कुछ चुप चुप से रहो और
मुझको यों चुप रहने दो ।
तुमको कुछ शिकायत और
कुछ भ्रम मुझको रहने दो,
तुम कुछ चुप चुप से रहो और
मुझको यों चुप रहने दो ।
बहुत सुंदर।